दिग्गज कवि इमरोज़ नहीं रहे। 97 साल की उम्र में 22 दिसंबर (शुक्रवार) को उन्होंने अंतिम सांस ली।
रिपोर्ट्स की मानें तो इमरोज़ कुछ समय से उम्र संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें खाना तक पाइप के जरिए दिया जा रहा था।
इमरोज़ को दिवंगत कवयित्री और उपन्यासकार अमृता प्रीतम के साथ रिश्ते की वजह से ज्यादा जाना जाता था।
बताया जाता है कि इमरोज़ 40 साल तक अमृता प्रीतम संग रहे। खास बात यह है कि उन्होंने कभी शादी नहीं की थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, कवयित्री अमिया कुंवर ने उनके निधन की पुष्टि की। उन्होंने इमरोज़ और अमृता प्रीतम के रिश्ते के बारे में भी बताया।
अमिया के मुताबिक़, इमरोज़ कभी अमृता को नहीं भूल पाए। यहां तक कि जब कोई अमृता को 'थीं' जैसे शब्द बोलता था तो उन्हें बुरा लगता था। वे 'अमृता हैं, यहीं हैं' जैसे वाक्य बोला करते थे।
इमरोज़ का जन्म 26 जनवरी 1926 को पंजाब के ल्यालपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनका असली नाम इन्द्रजीत था।
1996 में इमरोज़ अमृता से जुड़े। तब अमृता ने नागमणि पत्रिका प्रकाशित की थी। इन्द्रजीत उनके साथ इलस्ट्रेटर के तौर पर जुड़े। यहीं से उनके इन्द्रजीत से इमरोज़ बनने का सफ़र शुरू हुआ था।
अमृता प्रीतम का निधन 2005 में हुआ था। जिंदगी के आखिरी दिनों में अमृता और इमरोज़ साथ ही रहते थे। अमृता प्यार से इमरोज़ को जीत बुलाया करती थीं।
इमरोज़ ने 'अमृता के लिए नज़्म जारी है' किताब लिखी, जिसे 2008 में पॉकेट बुक्स ने पब्लिश किया था। इससे पहले अमृता के निधन के बाद वे उन्हें समर्पित कर कविता और 4 किताबें लिख चुके थे।