आमतौर पर माना जाता है कि सांभर दक्षिण भारत से आता है, लेकिन असल में यह डिश मराठों द्वारा बनाई गई थी।
यह कहानी उस समय की है जब मराठा साम्राज्य के शाही राजा शाहजी के महल में सांभाजी महाराज की यात्रा हुई थी।
महल के रसोइये अपने स्थानीय व्यंजन तैयार करना चाहते थे, लेकिन उन्हें उस दिन व्यंजन के स्वाद के लिए पारंपरिक कोकम (एक खट्टा फल) नहीं मिल पाया था।
रसोइयों ने कोकम के बदले इमली का उपयोग किया, जो खट्टा और तेज स्वाद देता है। यही व्यंजन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था।
इमली का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने एक नई डिश बनाई, जिसका नाम उन्होंने अपने मेहमान सांभाजी महाराज के नाम पर रखा – "सांभर"।
इस "सांभर" डिश का स्वाद और लोकप्रियता बढ़ी, और यह धीरे-धीरे पूरे भारत में खासकर दक्षिण भारत में एक प्रमुख डिश बन गई। जहां डोसा, इडली और अन्य डिश इसके बिना अधूरे हैं।