मूंग दाल नमी भरे मौसम में जल्दी फर्मेंट हो सकती है। इससे पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती है, इसलिए बरसात के मौसम में इसका सेवन कम करना चाहिए।
अरहर की दाल यूं तो घरों में सबसे ज्यादा बनाई जाती है, लेकिन बारिश के दिनों में अरहर की दाल खाने से पेट में गैस बनती है और इससे अपच हो सकती है, इसलिए बारिश में इसे कम खाना चाहिए।
धुली उड़द दाल या खड़ी उड़द दाल नमी और बैक्टीरिया को आकर्षित करती है, जिससे बारिश के मौसम में इसके खराब होने का जोखिम बढ़ जाता है और इसे खाने से पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
लाल रंग की मसूर दाल नमी को अब्जॉर्ब कर सकती है और इसमें सीलन जल्दी लगती है। ऐसे में बरसात में इसे खाने से बचना चाहिए।
बरसात के मौसम में थोड़ी सी नमी में भी राजमा खराब हो सकते हैं। ऐसे में इसमें फफूंद लगने की संभावना बढ़ जाती है और स्वाद भी खराब होता है।
बरसात के मौसम में हरे और पीले मटर में भी नमी के कारण सीलन आ जाती है। ऐसे में इनका स्वाद और बनावट दोनों खराब हो सकता है, इसलिए बरसात के मौसम में इनका सेवन कम से कम करना चाहिए।
बरसात के मौसम में स्प्राउट की हुई दालें भी जल्दी खराब हो जाती है और इसमें खराब बैक्टीरिया पनप सकते हैं। ऐसे में इनका सेवन या तो पका कर करें या ना खाएं।
नमी के संपर्क में आने से चना दाल में फफूंद लगने की आशंका बढ़ जाती है, जो इसकी क्वालिटी और स्वाद दोनों को खराब कर सकती है।