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लाल चींटी की चटनी को मिला GI का टैग, यहां के लोग चटकारे लेकर हैं खाते

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लाल चींटी की चटनी यहां के लोग है खाते

ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में रहने वाले ट्राइबल लाल चींटी की चटनी को खाना पसंद करते हैं। इसे बड़ी आसानी से बनाते हैं और रोटी-चावल के साथ इसे खाते हैं।

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लाल चींटी की चटनी को मिला GI टैग

ट्राइबल के बीच मशहूर चटनी को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) दी गई है। जीआई टैग का मतलब है कि लाल चींटी से बनी चटनी अच्छी क्वालिटी का होता है।

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ओडिशा के इस जगह पर ज्यादा है खपत

ओडिशा के मयूरभंज डिस्ट्रिक्ट लाल चींटी की चटनी को सबसे ज्यादा लोग खाते हैं। होटल और दुकानों में भी इसे परोसा जाता है।

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लाल चीटी की चटनी कैसे बनती है

कई जगह पर लाल चींटी की चटनी बनाने के लिए इसके अंडे का इस्तेमाल किया जाता है। तो कई जगह पर इसे ही पीसकर बनाया जाता है। खाने में इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है।

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ऐसे बनाई जाती है चटनी लाल चींटी को ट्राइबल एक बर्तन में इक्ट्ठा

 करते हैं। इस मारकर सूखा देते हैं। सूखने के बाद उसे मुसल में फिर से पीसते हैं। लाल मिर्च, टमाटर, धनिया और नमक भी इसके साथ पीसते हैं।

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लाल चींटी की चटनी खाने के फायदे

लाल चींटी की चटनी में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स काफी मात्रा में पाया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है जो रोगों से बचाने में मदद करता है। इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।

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