रसम और सांभर को हर डिश के साथ साउथ इंडियन फूड में शामिल किया जाता है। स्वादिष्ट होने के साथ ही इन दोनों डिशेज में पड़ा हर इंग्रीडियंट सेहत को अलग लाभ पहुंचाता है।
सांबर गाढ़ा होता है, जबकि रसम तरल होता है। सांबर का गाढ़ापन मसली हुई दाल के कारण होता है। सांबर में सब्जियां मिलाना जरूरी है, जबकि रसम में ड्रम स्टिक के अलावा कोई सब्ज़ी नहीं होगी।
रसम खाने से खाना पचाने की शक्ति बढ़ती है। रसम में ढेर सारी काली मिर्च डाली जाती है। जो कि पाचन शक्ति को मजबूत बनाती है। रसम को चावल, इडली और डोसे किसी के साथ भी खाया जा सकता है।
रसम फॉलिक एसिड, विटामिन ए, बी3, सी, जिंक, कॉपर, मैग्नीसियम, सेलेनियम, आयरन और कैलशियम जैसे पोषक तत्वों को बहुत अच्छा सोर्स होता है। यह सभी पोषक तत्व सेहत को फायदा पहुंचाते हैं।
अगर आपको गैस की समस्या है तो रसम आपके लिए औषधि की तरह काम करती है। इसमें हलदी और जीरा भी शामिल होता है जो इम्यूनिटी को बूस्ट करता है।
सांभर में कद्दू पड़ने से यह इम्यूनिटी बूस्ट करने में सहायक होता है। सांभर एक ऐसा फूड है जिसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक खा सकते हैं और यह सभी की इम्यूनिटी बूस्ट करता है।
कुछ लोग सांभर में ड्रमस्टिक भी डालते हैं। ड्रमस्टिक की पत्तियां और बीजे भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छे होते हैं।
सांभर में प्रोटीन, फाइबर, जिंक, फॉलिक ऐसिड, आयरन और मिनरल्स का परफेक्ट बैलेंस होता है, जो पाचन शक्ति और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।