यह मामला उत्तर प्रदेश बरेली कोर्ट का है, जहां पर अपर जिला जज अरविंद कुमार ने मिलावटी देसी घी बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।
बरेली कोर्ट ने पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और हर एक पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
यह मिलावटखोरों पर अब तक की सबसे बड़ी सजा मानी जा रही है। बता दें कि ये मामला 2009 में दर्ज किया गया था। जिसका फैसला 14 साल बाद आया है।
इन दिनों बाजारों में असली और नकली घी का खेल चरम पर है। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि कैसे आप असली और नकली घी की पहचान कर सकते हैं...
घी खरीदने से पहले आप इसकी लेबलिंग को चेक करें और एक सर्टिफाइड ब्रांड का ही घी खरीदें।
घी की बनावट चिकनी और मलाईदार होती है और इसमें से एक बहुत ही भीनी सी सुगंध आनी चाहिए। अगर यह बहुत पतला या बहुत गाढ़ा है तो यह मिलावटी घी हो सकता है।
घी आमतौर पर गोल्डन ब्राउन यानी कि सुनहरे पीले रंग का होता है। ऐसे घी से सावधान रहे जिसका रंग बहुत पीला या बहुत ज्यादा चमकीला हो।
असली घी रूम टेंपरेचर पर semi-solid रहता है और गर्म तापमान पर पिघल जाता है। यदि रूम टेंपरेचर पर भी घी पतला रहे या जम जाए तो यह नकली घी हो सकता है।
एक बर्तन में दो चम्मच घी डालें। इसमें आधा चम्मच नमक के साथ दो बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं। अगर घी लाल रंग का या कोई और रंग का नजर आए तो इसमें मिलावट है।
एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच घी डालें अगर घी पानी में तैरने लगे तो वह शुद्ध है और अगर डूब जाए तो मिलावटी है।