केरल में दुर्लभ दिमाग खाने वाले अमीबा (Brain eating amoeba) के संक्रमण का चौथा मामला दर्ज किया गया है। यह अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (amoebic meningoencephalitis) है।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस दुर्लभ ब्रेन इन्फेक्शन है। केरल में इसके तीन प्रभावित नाबालिगों की पहले ही मौत हो चुकी है। यह दूषित जल में पाए जाने वाले अमीबा से होता है।
दिमाग खाने वाले अमीबा का वैज्ञानिक नाम नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) है। यह एक कोशिका वाला जीव है जो मीठे पानी और जमीन में रहता है।
अपने आम नाम के विपरीत, यह अमीबा असल में ब्रेन नहीं खाता। इसके संक्रमण से ब्रेन को गंभीर क्षति और सूजन हो सकती है। इससे मौत तक हो जाती है।
संक्रमण के लक्षण 24 घंटे से लेकर 14 दिन में दिखते हैं। शुरू में बुखार, सिरदर्द या उल्टी होती है। बाद में गर्दन में अकड़न, रोशनी से परेशानी, भ्रम, संतुलन की कमी और दौरे पड़ते हैं।
अमीबा नाक के रास्ते शरीर में घुसता है। ब्रेन में जाकर संक्रमण पैदा करता है। संक्रमण आमतौर पर तब होता है जब आप दूषित जल में नहाते या तैरते हैं। इसका संक्रमण गर्मी में अधिक फैलता है।
नेगलेरिया संक्रमण के लक्षण दिखे तो जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए। एंटीफंगल दवा से इसका इलाज होता है। दवा को नसों के माध्यम से या रीढ़ की हड्डी के आसपास इंजेक्ट किया जाता है।
दीमाग खाने वाले अमीबा को गर्मी पसंद है। यह गर्म और मीठे पानी में पनपता है। गर्मी के मौसम में इसका संक्रमण अधिक फैलता है।
मीठे पानी की झीलों, नदियों या झरनों में तैरने या नहाने से बचें खासकर गर्मी के मौसम के दौरान। अगर आपको ताजे पानी में तैरना है तो सिर को ऊपर रखने की कोशिश करें।