विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2022 में पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर के कारण 6,70,000 मौतें हुईं। जानकारी के मुताबिक 99% से अधिक मामले महिलाओं में देखने को मिले।
कैंसरस सेल्स ब्रेस्ट डक्ट्स और ब्रेस्ट मिल्क ग्लैंड्स से स्तन के अन्य भागों में भी फैलती हैं। वहीं कई बार कैंसर जिस टिश्यू में पनपता है, उससे बाहर नहीं फैलता है।
ब्रेस्ट कैंसर में सर्वाइवल रेट 90% के करीब है। इसका मतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोज होने के बाद 90% महिलाएं कम-से-कम 5 साल तक जीवित रहती हैं।
कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड होता है। फिर भी पता ना चले तो MRI या ब्रेस्ट बायोप्सी टेस्ट होते हैं। तब भी पता ना चले तो डॉक्टर ब्रेस्ट बायोप्सी करवाते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले इसका टाइप, स्टेज और इंफेक्टेड एरिया देखते हैं। बाद में मरीज को कैसा ट्रीटमेंट दिया जाएगा ये तय होता है।
ब्रेस्ट ट्यूमर हटाने के लिए लंपेक्टोमी, मास्टेक्टोमी या कॉन्ट्रालेटरल सर्जरी की जाती है। इसके अलावा ब्रेस्ट और टिश्यूज में रेडिएशन थेरेपी देते हैं ताकि कैंसर दोबारा ना हो।
कैंसर सेल्स को फैलने से रोकने और खत्म करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसमें कीमोथेरेपी या टार्गेटेड बायोलॉजिकल थेरेपी और हॉर्मोनल थेरेपी दी जा सकती है।