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मां कहती थी तांबे के गिलास में दूध मत पीना, पर क्यों? जानें कारण!

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दूध और तांबा रासायनिक प्रतिक्रिया

  • दूध में प्राकृतिक रूप से लैक्टिक एसिड होता है। जब यह तांबे के संपर्क में आता है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे दूध खराब हो सकता है और उसमें टॉक्सिक यौगिक बन सकते हैं।
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दूध जल्दी खराब हो जाता है

  • तांबे का बर्तन दूध के pH को बदल देता है। इससे दूध में बैक्टीरिया तेजी से पनपने लगते हैं और वो जल्द खट्टा या फट सकता है।
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पेट की समस्या और फूड पॉइज़निंग का खतरा

  • तांबे के बर्तन में रखा या उसमें पिया गया दूध शरीर में जाकर एसिडिटी, उल्टी, पेट दर्द या फूड पॉइज़निंग जैसी समस्या पैदा कर सकता है।
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कॉपर टॉक्सिसिटी का खतरा

  • अगर लंबे समय तक तांबे के बर्तन में दूध पीते रहें तो कॉपर की अधिक मात्रा शरीर में जमा हो सकती है, जिससे लीवर और किडनी को नुकसान हो सकता है।
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आयुर्वेद में भी मनाही

  • आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में सिर्फ ताम्र जल (कॉपर इन्फ्यूज्ड पानी) पीने की सलाह दी जाती है, दूध, दही, नींबू या अम्लीय चीजों को तांबे में रखने की सख्त मनाही है।
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दूध का स्वाद और रंग भी बिगड़ता है

  • तांबे से रिएक्शन के बाद दूध में धातु जैसी गंध आ सकती है और उसका स्वाद बिगड़ सकता है, जिससे वो पीने लायक नहीं रहता।
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