गुजरात में चांदीपुरा वायरस ने धड़कने बढ़ा दी है। यहां पर अब तक 84 मामले सामने आए हैं जिसमें से 32 लोगों की जान चली गई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी केस दर्ज किए गए हैं।
इस वायरस की पहचान 1965 में हुई थी जब पहली बार नागपुर के चांदीपुर में केस दर्ज हुआ था। इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ गया। साल 2003 में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा सामने आया था।
साल 2003-2004 के बीच महाराष्ट्र-आंध्र प्रदेश में 329 केस सामने आए थे जिसमें से 183 मरीजों की जान चली गई थी। अब गुजरात में यह वायरस तेजी से फैल रहा है।
चांदीपुरा वायरस वेक्टर डिजीज है और यह काफी घातक है। छोटे बच्चों पर यह निशाना साधता है। यह वायरस मच्छर और कीट से फैलता है।
मच्छर या कीट से जब वायरस ह्यूमन बॉडी में जाता है तो यह अंदर संक्रमण फैलाता है जिसके कारण सिर में सूजन बढ़ने लगती है। जो न्यूरोलॉजिकल कंडीशन में बदल जाती है। जिससे मौत हो सकती है।
तेज बुखार, बुखार के साथ उल्टी होना,मानसिक स्थिति या चेतना में बदलाव,डायरिया, सिर में तेज दर्द,गर्दन में अकड़न, दौरे पड़ना और फोटोफोबिया जिसमें रोशनी परेशान करती है।
इस वायरस के लिए कोई स्पेशल एंटीवायरल इलाज या वैक्सीन नहीं है। लेकिन वक्त रहते अगर इसकी पहचान हो जाती है तो फिर मरीज को बचा लिया जाता है।
मच्छर और कीट से खुद को और बच्चों को दूर रखें। जंगली जानवरों से दूरी बनाएं। हाथ धोते रहें। फुल स्लीव्स पहन कर घर से बाहर निकलें। इम्यूनिटी को मजबूत करने वाले डाइट लें।