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कोविशील्ड लेने वाले को कितनी चिंता करनी चाहिए? 5 Points में समझे

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रेयर मामले में कोविशील्ड के साइड इफेक्ट

फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना कि कोविशील्ड से दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट हो सकता है। इस वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे केस सामने आ सकते हैं।

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यूके के कोर्ट में आरोप को स्वीकार किया

एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में कबूल किया कि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट है। लेकिन यह रेयर है। इसके साइड इफेक्ट बहुत ही कम देखने को मिले हैं।

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क्या होता है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमने (Blood Clot) लगते हैं या बॉडी में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं। इससे ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है।

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किसने किया था केस

एस्ट्राजेनेका के खिलाफ ब्रिटेन के जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने केस दर्ज कराया है। उसने दावा किया कि  कोरोना वैक्सीन की वजह से TTS की समस्या से पीड़ित हैं और ब्रेन डैमेज हो गया है।

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क्या कहती है कंपनी

कंपनी ने कोर्ट में कहा कि टीटीएस हो सकता है लेकिन यह दुर्लभ है। यह जरूरी नहीं की वैक्सीन लगवाने वाले को ही यह बीमारी हो सकती है। वैक्सीन नहीं लगवाने की स्थिति में भी यह हो सकती है।

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कोरोना से निपटने में यह वैक्सीन बहुत कारगर है

कंपनी का कहना है कि कई स्वतंत्र स्टडीज में इस वैक्सीन को कोरोना से निपटने में बेहद कारगर बताया गया है। मरीज की सुरक्षा कंपनी के लिए सर्वोपरि है। साइड इफेक्ट रेयर है।

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60 लाख लोगों की जिंदगी बचाई

कंपनी का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की मदद से दुनियाभर में 60 लाख लोगों की जिंदगियां बचाई गई हैं।

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कोविशील्ड को लेकर कितनी चिंता करने की जरूरत

कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गया था। इस इंस्टीट्यूट ने बयान दिया है कि भारत में TTS का कोई मामला सामने नहीं आया है।घबराने की बात नहीं है।

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