मेडिकल लैंग्वेज में पैरेट फीवर को सिटाकोसिस कहा जाता है। दरअसल, यह क्लैमाइडिया फैमिली के बैक्टीरिया से फैलने वाला एक इंफेक्शन है, जो तेजी से स्प्रेड हो सकता है।
पैरेट फीवर खासकर तोतों में पाया जाता है, इसलिए इसे पैरेट फीवर के नाम से जाना जाता है। हालांकि, अन्य जंगली जानवर और पक्षियों जैसे मुर्गी में भी यह बीमारी फैल सकती है।
बताया जा रहा है कि पैरेट फीवर से संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने, उनके पंख को छूने या उनके मल के कणों से कांटेक्ट में आने से यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है।
पैरेट फेवर में अक्सर तेज बुखार होता है और यह कई हफ्तों तक बना रह सकता है। इसके अलावा मरीज को कभी अचानक ठंड लगना और फिर पसीना आने का अनुभव भी हो सकता है।
पैरेट फीवर से पीड़ित व्यक्तियों में सिर दर्द एक आम लक्षण है। इसके अलावा मांसपेशियों और जोड़ों में भी दर्द हो सकता है।
पैरेट फीवर से पीड़ित व्यक्तियों में इन्फ्लूएंजा के जैसे ही खांसी, सीने में दर्द और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा थकान, कमजोरी और सुस्ती का एहसास भी हो सकता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, गंभीर मामलों में पैरेट फीवर में निमोनिया भी एक कारण बन सकता है। जिसमें सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और बलगम वाली खांसी होती है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पैरेट फीवर के लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के 14 से 15 दिनों बाद नजर आते हैं। लेकिन, अगर जल्दी इसके लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो इससे बचा जा सकता है।
पैरेट फीवर के उपचार में एंटीबायोटिक शामिल होते हैं। इसके अलावा लक्षणों को कम करने की दवा और रिकवरी को बढ़ावा देने के लिए आराम हाइड्रेशन की सिफारिश की जाती है।
पक्षियों के पंख या उनके मल से दूरी बनाकर रखें। अगर आपके घर में कोई भी पक्षी या तोता रहता है। तो उनके पिंजरे की समय-समय पर सफाई करें और उसके बाद साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोएं।