एक्सपर्ट्स का मानना है कि पीरियड्स की शुरुआती 2 दिन में योग करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है और महिलाओं को रेस्ट की जरूरत होती है।
पीरियड्स के 2-3 दिन बाद आप योगा करना शुरू कर सकते हैं। शुरुआत में हल्के-फुल्के योगासन करें, जिससे कमर, पेट, पीठ दर्द की प्रॉब्लम कम होती है।
मार्जरी आसन करने के लिए घुटनों के बल बैठें, हथेली जमीन पर रखें, गहरी सांस लें और गर्दन को ऊपर उठाएं। कमर नीचे रखें, सांस छोड़ते हुए गर्दन नीचे लाए और पीठ ऊंची करें।
पर्वतासन करने के लिए पालथी मालकर सीधी मुद्रा में बैठ जाएं। सांस खींचते हुए दोनों हाथों को जोड़कर ऊपर उठाएं। कुछ देर रुकें, सांस छोड़ते हुए नीचे लें जाएं और इस आसन को दोहराएं।
बद्ध कोणासन करने के लिए पालथी मारकर बैठें, पैरों के पंजों को आपस में जोड़ें, घुटनों और जांघों को जमीन पर सटाकर रखें। गहरी सांस लेते हुए कुछ देर इसी पोजीशन में रहें।
कटिचक्रासन करने के लिए सीधे खड़े हो जाए हाथों को आमने-सामने की ओर ऊपर उठाएं। सांस छोड़ते हुए कमर दाएं घूमाएं, सांस लेते हुए वापस लौटें। सांस छोड़ते हुए बाएं घूमें।
वज्रासन करने के लिए घुटने के बल बैठ जाएं। हथेलियां को घुटने पर रखें, गहरी सांस लें और धीरे से सांस छोड़े। कुछ देर इसी पोजीशन में रहें।
पीरियड के दौरान अनुलोम विलोम करना भी बहुत फायदेमंद होता है। सुखासन में बैठे, अंगूठे से नाक के बाएं छेद बंद करें दाएं से सांस लें। फिर दाएं छेंद को बंद कर बाएं से सांस छोड़ें।
भ्रामरी आसन करने के लिए अंगूठे से कान और बीच की उंगलियों से आंखों को बंद करें। गहरी सांस लें, नाक से सांस छोड़ते हुए मुंह से भंवरे जैसी आवाज करें।