खड़ाऊ लकड़ी से बनी चप्पल होती है जिसका इस्तेमाल साधु-संत करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि खड़ाऊ सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक मान्यता से भी जुड़ी है।
TOI को दिए इंटरव्यू में पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज कहते हैं कि शीशम और ढाक की खड़ाऊ पहने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
वैदिक काल से यह बात मानी जाती रही है कि पृथ्वी ग्रेविटी के कारण हर चीज को अपनी ओर खींचती है। इंसान की इंटरनल एनर्जी लकड़ी की खड़ाऊ पहनने से सुरक्षित रहती है।
डायबिटीज पेशेंट को विजयसार लकड़ी की खड़ाऊ पहनने की सलाह दी जाती है। इससे मधुमेह के रोगियों को बहुत लाभ मिलता है।
जो लोग कुछ समय के लिए लकड़ी की चप्पल पहनते हैं उन्हें पैरों के दर्द से भी राहत मिलती है। खड़ाऊ पहनने से पैरों के मुख्य बिंदू में प्रेशर पड़ता है जिसे दर्द में राहत मिलती है।
जिन लोगों को रीढ़ की हड्डी में दर्द की समस्या होती है उन्हें भी खड़ाऊ पहननी चाहिए। ऐसा करने से शरीर का बैलेंस बना रहता है और रीढ़ में दर्द भी नहीं होता।
अगर आप पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो बाजार में मिलने वाली लकड़ी की चप्पल या खड़ाऊ पहनना शुरू कर दें। शुरू में आपको परेशानी लग सकती है लेकिन फिर आदत हो जाएगी।