भारत के ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट में आयुर्वेद का खास महत्व है। आयुर्वेद से ना सिर्फ बीमारियों का इलाज किया जाता है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य भी देता है।
मलेरिया के लिए पारंपरिक चिकित्सा उपचार में आयुर्वेद एक अहम भूमिका निभाता है। आयुर्वेदिक इलाज इम्युन सिस्टम को बढ़ाता है। लक्षणों में राहत देता है।
तुलसी को आयुर्वेद में एक पवित्र जड़ी बूटी माना जाता है और यह इम्युन सिस्टम को बढ़ाता है। आप तुलसी पत्तियों का सेवन सीधे या हर्बल चाय के रूप में कर सकते हैं।
नीम एंटीवायरल और मलेरिया को रोकने का काम करता है। नीम की गोली खा सकते हैं। मच्छरों को भगाने के लिए नीम की पत्तियों को या फिर इससे बने प्रोडक्ट को घर में जला सकते हैं।
गिलोय एक इम्यूनोमॉड्यूलेटरी जड़ी बूटी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ा सकती है। यह विभिन्न रूपों जैसे टैबलेट, पाउडर या जूस में उपलब्ध है।
इन जड़ी-बूटियों में सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मलेरिया से जुड़े बुखार और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। आप इनका सेवन हर्बल चाय के रूप में क सकते हैं।
माना जाता है कि कुछ आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन, जैसे सुदर्शन चूर्ण या महासुदर्शन चूर्ण, बुखार और संक्रमण के दौरान शरीर को सहारा देते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करके लेना चाहिए।