मलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो प्लास्मोडियम पैरासाइट के कारण होती है। यह पैरासाइट संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
मलेरिया के आम लक्षणों में लगातार बुखार आना है। बुखार के साथ-साथ ठंड लगना और कंपकंपी महसूर होता है। सिरदर्द, पसीना आना, मांसपेशियों में दर्द, थकावट भी इसके लक्षण हैं।
गंभीर मामलों में उल्टी और मतली आना, सांस लेने में कठिनाई, हीमोलाइटिक एनीमिया और यकृत और प्लीहा का बढ़ना होता है। सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की मौत हो सकती है।
मानसून में जलजमाव और वातावरण में नमी के कारण मच्छरों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है। यह मच्छरों के प्रजनन के लिए सही वक्त होता है। मच्छर के बढ़ने से केस भी बढ़ने लगते हैं।
नीम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो मलेरिया के परजीवी को नष्ट करने में मदद कर सकते हैं। नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी को दिन में दो बार पीएं।
धनिया की पत्तियां मलेरिया के बुखार को कम करने में सहायक होती हैं।धनिया पत्तियों का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर पीएं।
मेथी के बीज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं और मलेरिया के संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं। मेथी के बीजों को पानी में भिगोकर रातभर रखें और सुबह खाएं।
तुलसी में मौजूद औषधीय गुण मलेरिया के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होते हैं। तुलसी के पत्तों को अदरक के साथ उबालकर पीएं। यह काढ़ा मलेरिया के बुखार को कम करने में मदद करता है।
दालचीनी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मलेरिया के ट्रीटमेंट में हेल्पफुल होते हैं।दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पीएं।शहद में मिलाकर भी ले सकते हैं।
अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मलेरिया के संक्रमण को कम कर सकते हैं।अदरक को पानी में उबालकर उसमें शहद मिलाकर पीएं। यह उपाय मलेरिया के बुखार और दर्द में राहत देता है।
लहसुन में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मलेरिया के पैरासाइट को खत्म करने में सहायक हो सकते हैं। बह खाली पेट लहसुन की कुछ कलियां खाएं।