बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी भर जाता है और इसमें पैदा होते हैं डेंगू और मलेरिया वाले मच्छर। इनका सही वक्त पर इलाज नहीं हुआ तो जान भी जा सकती है।
डेंगू में तेज बुखार आता है और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। सही वक्त पर प्लेटलेट काउंट नहीं बढ़ता है तो मौत भी हो सकती है। दवा के साथ एक पत्ता भी है जो काउंट को तेजी से बढ़ाता है।
आयुर्वेद में डेंगू बुखार के दौरान पपीते के पत्ता को उबालकर या उसका अर्क पीने की सलाह दी जाती है। ताकि रिकवरी जल्द हो सके। इससे प्लेटलेट काउंट तेजी से बढ़ता है।
US के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की रिपोर्ट के अनुसार कई मेडिकल सिस्टम में पपीता के पत्तों का इस्तेमाल दवाएं बनाने में किया जाता है।
रिसर्च में पपीता के पत्तों को एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी कैंसर, एंटी डायबिटीक, एंटी डेंगू और न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रॉपर्टी से भरपूर माना है। हालांकि डॉक्टर की सलाह पर ही इसे लेना चाहिए।
डेंगू की दवा के साथ-साथ सप्लीमेंट के तौर पर पपीते के पत्ते का अर्क ले सकते हैं। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
पपीते के पत्तों को धोकर साफ करें, डंठल को काटें, पत्तों को बारीक काटें और इसे उबले। ठंडा होने के बाद इसे अच्छी तरहपीस कर गाढ़ा जूस बना लें। इसका स्वाद कड़वा होता है।