मां का दूध बच्चे के लिए अमृत माना गया है। शुरुआती 6 महीने तो बच्चे को मां के दूध पर ही रखने की सलाह दी जाती है। यहां तक की पानी देने की भी मनाही होती है।
दादी-नानी के जमाने से ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कुछ ऐसी बातें होती हैं जिसे आज की मॉम भी मान लेती हैं। यहां पर हम बताने जा रहे हैं ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े 7 झूठ।
कहा जाता है कि मां जैसा खाना खाती है, वैसा ही बच्चा दूध पीएगा। मसलन अगर मां ज्यादा लहसुन खाती है तो दूध में भी इसका स्मेल आ जाएगा। जो की बिल्कुल सच नहीं है।
नई मां को बादी चीजें जैसे मटर, मसूर दाल,उड़द दाल,मूली समेत गैस बनाने वाली चीजें नहीं दी जाती है। बोला जाता है कि दूध पीने से बच्चे का पेट खराब हो जाता है। जो झूठ है।
अगर मां को बुखार आता है तो बच्चे को फीडिंग कराने से मना किया जाता है। बुजुर्गों का कहना है कि बच्चा भी बीमार हो जाएगा। जबकि ऐसा नहीं होता है। ये बिल्कुल झूठ है।
बच्चा जब ज्यादा रोता है तो बुजुर्ग महिलाएं कहती हैं कि बच्चे का पेट नहीं भर रहा है।मां का दूध नहीं बन रहा है। जबकि ये झूठ है। मां का दूध बच्चे के पेट भरने के लिए पर्याप्त होता है।
अगर ब्रेस्ट छोटा है तो दूध कम निकलेगा और बड़ा है तो ज्यादा। ऐसी भी बातें सुनने को मिलती है जो कि बिल्कुल झूठ है। साइज नहीं बल्कि फैटी टिशू पर दूध की मात्रा निर्भर करता है।
बच्चे को सिर्फ 20 मिनट तक ही दूध पिलाना चाहिए। ये भी एक मिथक है। बच्चा अपने हिसाब से दूध पीता है। जब पेट भर जाता है तो वो खुद स्तन छोड़ देता है।
अक्सर लोग यह भी कहते हैं की सेक्शन के बाद तुरंत बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। जबकि ये गलत है। बच्चा जैसे ही मां गर्भ से निकले, उसे ब्रेस्टफीडिंग जरूर कराएं।