वाटर रिटेंशन ऐसी स्थिति हैं, जिसमें शरीर के आंतरिक भागों, सर्कुलेटरी सिस्टम, टिशूज में पानी भर जाता है और उसके कारण हाथों, पैर के पंजों, टखनों और पैरों में सूजन पैदा होने लगती है।
वॉटर रिटेंशन की समस्याएं पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। क्योंकि पीरियड्स के दौरान हॉर्मोन्स वैरिएशन होता है, जिसके कारण वाटर रिटेंशन हो सकता है।
PCOS हार्मोन्स को प्रभावित करता है, जिससे वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण, शरीर के अंदर ग्लूकोज अधिक बना रहता है, जिससे अधिक पानी जमा हो जाता है।
गर्भावस्था में भी महिलाओं में वॉटर रिटेंशन बढ़ जाता है। रक्त की बढ़ती मात्रा के कारण, महिलाओं में वॉटर रिटेंशन का खतरा बढ़ जाता है। तभी प्रेगनेंसी में सूजन का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं के हार्मोन नियंत्रण जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था और प्रजनन तंत्र, वाटर रिटेंशन को बढ़ा सकते हैं। इनके कारण, अत्यधिक पानी जमा हो सकता है, जिससे वाटर रिटेंशन का खतरा होता है।
किडनी स्टोन, किडनी इंफेक्शन या किडनी की बीमारियों में वाटर रिटेंशन की समस्या को बढ़ सकती हैं। इसमें अल्बुमिन की कमी हो सकती है, जिससे वॉटर रिटेंशन होता है।