सैन फ्रांसिस्को स्थित ब्लूमटेक के सीईओ और को-फाउंडर ऑस्टेन ऑलरेड ने दावा किया है कि सिलिकॉन वैली के 8 सीईओ ने साइकेडेलिक दवाओं के साथ एक्सपेरिमेंट के बाद इस्तीफा दे दिया।
साइकेडेलिक ड्रग्स को नारकोटिक्स की श्रेणी में रखा गया है। यह भारत में प्रतिबंधित है। यह कम हानिकारक होता है।
साइकेडेलिक ड्रग्स, मन की धारणा, मूड और विचार प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
साइकेडेलिक पदार्थों का उपयोग प्राचीन समय से ही धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में किया जाता रहा है। लगभग 3000 ईसा पूर्व से प्रमाण मिलते हैं।
प्रमुख साइकेडेलिक ड्रग्स में डी-लिसेर्जिक एसिड डायथाइलैमाइड (LSD) और साइलोसाइबिन शामिल हैं। यह आमतौर पर मैजिक मशरूम में पाया जाता है।
20वीं सदी की शुरुआत में साइकेडेलिक दवाओं के क्लिनिकल यूज पर ध्यान केंद्रित किया गया। 1943 में LSD की खोज के बाद, इसका उपयोग मेंटल हेल्थ में संभावित सहायक के रूप में किया जाने लगा।
हाल के वर्षों में साइकेडेलिक दवाओं का मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद और चिंता के इलाज में उपयोग किया जाने लगा है। इसके सूक्ष्म खुराक का चलन भी बढ़ा है।
भारत में साइकेडेलिक दवाओं का उपयोग नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट 1985 के तहत प्रतिबंधित है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर इनका इस्तेमाल मेंटल हेल्थ में हो रहा।