महिलाओं के शरीर में जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन में उतार चढ़ाव होता है, तो यूटरस की परत मोटी हो जाती है जिसके कारण पीरियड्स में कम ब्लीडिंग हो सकती है।
पीरियड्स में कम ब्लीडिंग होने का एक कारण स्ट्रेस भी है। हार्मोनल इंबैलेंस के कारण महिलाएं तनाव में रहती हैं, जिसके कारण पीरियड्स में कभी कम तो कभी ज्यादा ब्लीडिंग होती है।
अचानक से वजन घटने से या बढ़ने से पीरियड साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है और इस दौरान शरीर में फैट की मात्रा कम होने से हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
बार-बार गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने से भी कई बार पीरियड्स में हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी कि PCOS के कारण भी इरेगुलर पीरियड साइकिल हो सकती है, जिससे कम या ज्यादा ब्लीडिंग होती है।
हाइपरथाइरॉयडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म दोनों ही पीरियड से संबंधित है और इसकी अनियमितताओं का कारण बन सकते हैं, जिसमें कम ब्लीडिंग होना भी एक कारण है।
शरीर में आयरन या विटामिन डी जैसे पोषक तत्व की कमी होना भी पीरियड साइकिल को डिस्टर्ब कर सकता है और इसके कारण कम ब्लीडिंग भी पीरियड्स में हो सकती है।
जिन महिलाओं की उम्र 45 से 50 साल है वह प्री मेनोपॉज के कारण कम ब्लीडिंग का सामना कर सकती हैं। इस स्थिति में पीरियड्स में इरेगुलेरिटी और कम ब्लीडिंग होना आम बात है।