बिछिया पहनना भारतीय संस्कृति में विवाहिता स्त्री की पहचान मानी जाती है। इसे पहनना शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
बिछिया को सुहाग का प्रतीक माना जाता है, और इसके जरिए महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना करती है।
शादी के दौरान दूल्हा अपनी दुल्हन के पैरों में बिछिया पहनाता है। इसके बाद महिला ताउम्र अपने पैरों में इसे धारण करके रखती है। यह प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
बिछिया को पैरों की दूसरी उंगली में पहनना जाता है। यह उंगली हार्ट और गर्भाशय से जुड़ी नसों से संबंधित है। इसे पहनने से नसों पर दबाव बनता है। जिससे प्रजनन हेल्थ में सुधार होता है।
बिछिया पहनने से पैरों में ब्लड फ्लो बेहतर होता है जिससे महिला का हेल्थ अच्छा बना रहता है और थकान कम महसूस होती है।
बिछिया पहनने से उस उंगली पर लगातार हल्का दबाव पड़ता है, जो एक्यूप्रेशर का काम करता है। इससे तनाव और बेचैनी कम होती है और मानसिक शांति मिलती है।
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार बिछिया पहनने से गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जिससे प्रसव के समय जटिलताओं में कमी आ सकती है।
बिछिया चांदी से बनाई जाती है, क्योंकि चांदी में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की गर्मी को संतुलित करने में मदद करते हैं।यह पैरों के तलवों के जरिए ऊर्जा को सोख करके शरीर को ठंडा रखता है।