विटामिन डी की कमी से दिक्कत सिर्फ हड्डियों में नहीं होती है। बल्कि फर्टिलिटी में भी गिरावट होती है। इसलिए महिला और पुरुष दोनों को इस विटामिन को लेकर सीरियस होना जरूरी है।
शरीर में विटामिन डी की कमी कारण फर्टिलिटी के साथ ओव्यूलेशन पर बुरा असर पड़ता है। उन्हें कंसीव करने में दिक्कत होती है।
अगर कंसीव करने के बाद शरीर में विटामिन डी की कमी होती है तो जेस्टेशनल डायबिटीज की आशंका बढ़ जाता है। इसके अलावा मिसकैरेज का खतरा काफी बढ़ जाता है।
अगर मां में विटामिन डी की कमी होती है तो पेट में पल रहे बच्चे में भी इसकी कमी हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था में डॉक्टर विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए मेडिशिन देते हैं।
विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए कॉड लिवर तेल, सैमन माछी, स्वोर्डफ़िश, ट्यूना मछली, संतरे का रस होता है। इसके अलावा डेयरी और प्लांट बेस्ड मिल्क,कलेजी और अंडे की जर्दी है।
बच्चे हो या फिर बुजुर्ग या महिला सबको सुबह की धूप लेनी चाहिए। इससे विटामिन डी की कमी नेचुरली शरीर में पूरी होती है।