यह आसन पेट संबंधित रोग को दूर कर आपकी इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाता है। इस आसन के अभ्यास से मूत्र संबंधित विकार भी दूर हो जाते हैं।
उष्ट्रासन का नियमित अभ्यास करने से अस्थमा, मधुमेह और थायरॉयड जैसे विकार दूर होते हैं। इन रोगों को ठीक करने के गुण होने के कारण यह आसन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।
इस आसन ने स्ट्रेचिंग से लेकर पूरी कमर के दर्द को कम करने में फायदा मिलता है। साथ ही साथ यह महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है।
इस योग आसन को करने से शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे करने से आपके पैरों के मसल्स लचीले होते हैं और आत्मविश्वास विकसित होता है।
अश्व संचालनासन का रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर की मांसपेशियों को बहुत फायदा मिलता है। यह मेटाबॉलिज्म और पाचन के लिए उपयोगी होने के साथ हृदय और फेफड़ों के लिए लाभकारी है।
मत्स्येन्द्रासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इससे विशेष रूप से कूल्हे और रीढ़ की हड्डी लचीली होती है।
इस आसन को करते समय जिस पैर पर आप खड़े होते है, उसे खासतौर पर मजबूत बनाता है। साथ शारीरिक संतुलन को बनाये रखने में सहायक होता है। यह आसन ध्यान रखने की क्षमता में सुधार लाता है।
पूर्ण उष्ट्रासनआपके पूरे शरीर को खोलने में मदद करता है। कंधे, छाती और कमर को बहुत मजबूत बनते हैं के साथ पूरे शरीर को लचीला बनाता है। इससे रोग प्रतिरोधन क्षमता में सुधार होता है।
यह आसन करने से शरीर का संतुलन ठीक होता हैं। पाचन प्रणाली में सुधार और एसिडिटी से छुटकारा मिलता हैं। इससे मोटापा दूर करने में भी सहायता मिलती है।
शीर्षासन करने से सिरदर्द से राहत, रक्त प्रवाह में सुधार और बालों की समस्या सुधरती है। इसे करने से तनाव व चिंता से राहत मिलती है। इसी वजह से ये इम्युनिटी को बढ़ाने में असरदार है।