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दूब घास और कुश घास में 7 अंतर जान लें? गणपति बप्पा को चढ़ाएं ये वाली

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दूब और कुश घास का टैक्सचर

दूब घास जमीन पर फैलती है और कुश घास लंबी और सीधी बढ़ती है। साथ ही दूब घास की ऊंचाई लगभग 6 से 7 इंच तक होती है।

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कुश घास के सरकंडे

कुश घास के पत्ते लंबे और साइड से थोड़े कांटेदार होते हैं। साथ ही कुश घास के पतले डंडे सरकंडे कहलाते हैं, जिनसे पहले लोग कलम भी बनाते थे।

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दूब और कुश घास का नाम

दूब घास को संस्कृत में दूर्वा कहा जाता है। कुश घास को दर्भ और पवित्रम के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं जानकर हैरानी होगी कि दूब घास का जूस पीने से एनीमिया दूर होता है।

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कुश घास कहां मिलती है?

भारत के खुले मैदानी, मरु क्षेत्रों में सूखे एवं गर्म स्थानों के साथ नदी व तालाब के किनारे हमें कुश घास का पौधा मिलता है।

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हिंदू धर्म में कुश घास

कुश घास को निर्जन जंगल नदी के किनारे पाया जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य या धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न करते समय कुशा घास का उपयोग जरूर किया जाता है। 

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गणेशजी को चढ़ाएं दूर्वा घास

भगवान गणेश को दूर्वा घास बहुत पसंद है। दूर्वा घास को दूब कहते हैं। बताया जाता है कि दूर्वा घास को गणेश जी की मूर्ति के चेहरे को छोड़कर पूरे शरीर पर चढ़ाना चाहिए।

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श्राद्ध कर्म में इस्तेमाल

कहते हैं कि दूर्वा घास को चढ़ाने से सुख-समृद्धि आती है। साथ ही कुश घास से कुशासन और चटाइयां बनाई जाती हैं। कुश घास का इस्तेमाल श्राद्ध कर्म में भी किया जाता है।

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