सिंदूर को क्यों माना जाता है सुहाग की निशानी, जानें इसका इतिहास
Other Lifestyle Sep 19 2024
Author: Nitu Kumari Image Credits:Getty
Hindi
सिंदूर का इतिहास
सिंदूर का इतिहास हजारों साल पुराना है। वैदिक काल में पूजा-पाठ और धार्मिक कामों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता था।
Image credits: social media
Hindi
सुहाग का प्रतीक क्यों बना
रामायण में सीता मईया सिंदूर को अपने माथे पर लगाती थी। एक बार जब हनुमान ने माता सीता से पूछा कि आप सिंदूर क्यों लगाती हैं। तो उन्होंने बताया कि यह इससे राम प्रसन्न होते हैं।
Image credits: social media
Hindi
मां पार्वती भी लगाती थी सिंदूर
वहीं कहा जाता है कि माता पार्वती भी भगवान शिव को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए सिंदूर धारण करती थीं।
Image credits: social media
Hindi
महाभारत में द्रौपदी लगाती थी सिंदूर
महाभारत में द्रौपदी के सिंदूर लगाने का जिक्र है। जिसके बाद इसे सुहाग की निशानी मानी जानी लगी। शादीशुदा महिलाएं सिंदूर लगाए बैगर नहीं रहती हैं।
Image credits: social media
Hindi
सिंदूर लगाने के बाद विवाह होता है पूरा
विवाह तभी पूरा होता है जब दूल्हा दुल्हन के मांग में सिंदूर भरता है। इसके बाद महिलाएं कभी अपनी मांग से इसे नहीं हटाती हैं।
Image credits: Getty
Hindi
सिंदूर लगाने का महत्व
कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की उम्र लंबी होती है। शादीशुदा जिंदगी हमेशा खुशहाल बनी रहती है।
Image credits: Getty
Hindi
शक्ति का प्रतीक
सिंदूर का लाल रंग शक्ति, समर्पण और प्यार का प्रतीक माना जाता है। यह महिला के जीवन में उसके पति की उपस्थिति और उनके रिश्ते की पवित्रता तो दिखाता है।
Image credits: pexels
Hindi
वैज्ञानिक नजरिया
सिंदूर में पारा और हल्दी का मिश्रण होता है। आयुर्वेद की मानें तो पारा शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है और मेंटल पीस देता है। माथे के बीच में लगाने से ब्रेन बैलेस रहता है।