माननीय अतिथि गण, शिक्षकगण, और मेरे प्यारे दोस्तों। 15 अगस्त यानी हमारे आजादी का दिन, जिसे पाने के लिए हजारों लड़ाइयां लड़नी पड़ी। जिसमें ना जाने कितने शूरवीर कुर्बान हो गए।
उन्ही शूरवीरों की वजह से आज हम आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं। ये आजादी उन्ही की देन है। 78वीं स्वतंत्रता दिवस पर उन तमाम शूरवीरों को नमन जिसकी बदौलत हम खुद को आजाद कहते हैं।
"हमारा तिरंगा ऊंचा रहे सदा, देश की आन, बान, और शान को किसी कीमत पर कम न होने देंगे।" हम भारत के सपूतों को नमन करते हुए वादा करते हैं कि भारत और तिरंगे के शान को सदा बनाकर रखेंगे।
आजादी की कभी शाम न होने देंगे, शहीदों की कुर्बानी बदनाम न होने देंगे।
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की, तब तक भारत का आंचल नीलाम न होने देंगे।"
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है जमाने में नाम-ए-आजादी
हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हैं।
"जो खून देश के काम न आए, वो बेकार है,
जो मातृभूमि का न हो, वो जीवन बेकार है।"
मुझे मेरे भारत पर गर्व है,
जहां हर इंसान में जान बसती है।
जिन्होंने इस धरती पर जन्म लिया,
उनके लिए ये धरती ही स्वर्ग है।"
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा,
हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा
ये पंक्तियां हमें याद दिलाती हैं कि हमारा देश कितना महान और अनेकताओं से भरा है।
इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अंधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
धन्यवाद। जय हिंद।