झुमके घंटी के आकार के होते हैं और नीचे की ओर लटकते हैं। यह आमतौर पर गुंबद के आकार में होते हैं।
चांदबाली झुमकों का डिजाइन अर्धचंद्र या चंद्रमा के साइज में होता है, जिससे इसका नाम पड़ा है। यह गोल या अर्ध-गोलाकार आकार में होते हैं।
झुमके की उत्पत्ति मंदिर की वास्तुकला और पारंपरिक भारतीय आभूषण शैलियों से मानी जाती है। वहीं चांदबाली का डिजाइन प्राचीन राजस्थानी और मुगल कारीगरी से इंस्पायर होता है।
चांदबाली में अक्सर कुंदन, मोती, मीना और अन्य स्टोन्स का इंट्रीकेट काम होता है। वहीं झुमकों में छोटी-छोटी लटकती हुई मोती, घुंघरू या मीनाकारी का काम हो सकता है।
चांदबाली को ऐतिहासिक रूप से राजाओं और रानियों द्वारा पहना जाता था। वहीं झुमका यह आम महिलाओं से लेकर हर वर्ग में लोकप्रिय हैं।
चांदबाली आकार में बड़े और भारी हो सकते हैं। वहीं झुमका आमतौर पर हल्के होते हैं, लेकिन कुछ डिजाइन बड़े और भारी भी हो सकते हैं।
चांदबाली में सोने, चांदी, कुंदन और मोती का काम होता है। वहीं झुमका में सोना, चांदी, हैंडमेड मैटलिक और यहां तक कि ऑक्सीडाइज्ड धातु का यूज किया जाता है।
चांदबाली को कई बार चोकर और रानी हार के साथ किया जाता है। वहीं झुमका अकेले भी पहना जा सकता है। अन्य झुमकों और नेकलेस के साथ पेयर किया जा सकता है।