कुंदन जूलरी में नकली या कांच के पत्थरों का उपयोग किया जाता है। इन्हें सोने या चांदी में जड़ा जाता है।पोल्की जूलरी में बिना तराशे हुए असली, अनकट डायमंड का इस्तेमाल किया जाता है।
कुंदन जूलरी में पत्थरों के पीछे मेटल की पॉलिश होती है, जो पत्थरों को चमकदार बनाती है। पोल्की जूलरी का लुक मैट और रॉ होता है, क्योंकि इसमें असली हीरे का प्राकृतिक रूप होता है।
कुंदन जूलरी में पत्थरों को धातु के मोल्ड में कुंदन (सोने की परत) से जड़ा जाता है। इसमें बहुत बारीक डिजाइन होते हैं। पोल्की जूलरी में हीरे को मेटल के अंदर सीधा सेट किया जाता है।
कुंदन जूलरी का प्रारंभ राजस्थान और गुजरात में हुआ था, और यह मुगलों के समय से प्रसिद्ध है। पोल्की जूलरी का भी मूल राजस्थान से है, इसे मुगल जूलरी का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
कुंदन जूलरी की कीमत पोल्की की तुलना में कम होती है, क्योंकि सस्ते पत्थरों का इस्तेमाल होता है। पोल्की जूलरी की कीमत ज्यादा होती है क्योंकि इसमें असली अनकट डायमंड होते हैं।
कुंदन जूलरी में पत्थरों की जगह नकली कांच के टुकड़े होने के कारण यह हल्की होती है। पोल्की जूलरी भारी होती है, क्योंकि इसमें असली अनकट डायमंड्स का इस्तेमाल होता है, जो भारी होते हैं।
कुंदन जूलरी में मीना-कारी (एनेमल वर्क) का अधिक उपयोग किया जाता है, जिससे जूलरी के डिजाइन में रंगीन और आकर्षक पैटर्न बनते हैं। पोल्की जूलरी में मीना-कारी का इस्तेमाल कम होता है।