चंदेरी सिल्क साड़ियों की बात करें तो ये मध्य प्रदेश के चंदेरी क्षेत्र में निर्मित होती है। इसमें पारंपरिक हाथ से बुनाई का उपयोग होता है जिसमें जरी, सिल्क और सूती धागों होते हैं।
माहेश्वरी सिल्क की करें तो ये महेश्वर, मध्य प्रदेश में बनाई जाती है। इसमें सूती धागों और सिल्क का कॉम्बिनेशन होता है। इसमें नर्मदा नदी की लहरों के इंस्पायर डिजाइन देखें जाते हैं।
चंदेरी साड़ियों के वजन और बनावट की बात करें तो यह हल्की और मुलायम होती है। इसकी स्पेशलिटी ट्रांसपेरेंट होना होती है।
बात अगर माहेश्वरी सिल्क के वजन और बनावट की करें तो माहेश्वरी साड़ियां थोड़ी भारी होती हैं और अधिक टिकाऊ होती हैं।
चंदेरी सिल्क में ज्योमेट्रिक, बूटियां और फ्लोरल डिजाइन की बॉर्डर होती हैं। माहेश्वरी सिल्क में बॉर्डर पर रीवर पैटर्न और खास पारंपरिक डिजाइन होते हैं।
चंदेरी सिल्क अधिकतर त्योहार, शादी और खास अवसरों पर पहनी जाती हैं। वहीं माहेश्वरी सिल्क को फेस्टिवल और प्रोफेशनल दोनों प्रकार से पहनने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
चंदेरी सिल्क साड़ियों अक्सर भारतीय राजघराने और रॉयल वियर के लिए जानी जाती हैं। माहेश्वरी सिल्क को महेश्वरी रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा प्रचलित की गई थी।
चंदेरी सिल्क का फैब्रिक पारदर्शी और पतला होता है, जिसमें शाइन और चमक होती है। माहेश्वरी सिल्क में मटैलिक शाइन कम होती है और इसका टच थोड़ा मैट फिनिश हो सकता है।
चंदेरी सिल्क साड़ियों को पारंपरिक, गहरे रंगों और हल्के पेस्टल रंगों में बनाया जाता है। माहेश्वरी सिल्क साड़ियों ज्यादा सिंपल और मिनिमल रंगों में पाई जाती है।