रूमा देवी एक एंटरप्रेन्योर, समाज सेविका और फैशन डिजाइनर है, जिन्होंने राजस्थान से लेकर हावर्ड यूनिवर्सिटी तक का सफर पूरा किया।
रूमा देवी का जन्म 1988 में राजस्थान के बाड़मेर में हुआ। बहुत कम उम्र में उनकी मां का देहांत हो गया, उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका पालन पोषण उनके चाचा ने किया।
रूमा देवी जब आठवीं क्लास में थी तो उन्हें पढ़ाई छोड़ना पड़ा था, क्योंकि उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। 17 साल की उम्र में ही रूमा की शादी हो गई।
रूमा देवी को सिलाई कढ़ाई का बहुत शौक था, जिसके चलते उन्होंने 2006 में अपने गांव की 10 महिलाओं के साथ एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की।
रूमा देवी और उनके साथ काम करने वाली 10 महिलाओं ने 100-100 रुपए जमा किए और उससे कपड़े, धागे और अन्य जरूरी चीजें खरीद कर राजस्थानी कढ़ाई वाले कुशन और बैग बनाएं।
2010 में रफी मार्ग, दिल्ली में रूमा देवी की पहली प्रदर्शनी का आयोजन किया गया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रूमा देवी ने अब तक 150 गांव की 30000 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार के अवसर दिए हैं और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने का हौसला दिया है।
2018 में रूमा देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उन्होंने मानक पीएचडी भी हासिल की।
हावर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित 17वें वार्षिक सम्मेलन में रूमा देवी को भारत की तरफ से वक्ता बनने का मौका भी मिला, जहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
भारतीय कारीगरों को बढ़ावा देने वाली रूमा देवी अपनी कला का प्रदर्शन जर्मनी, यूके, यूएसए, सिंगापुर, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे कई देशों में कर चुकी हैं।
रूमा देवी शक्ति, कड़ी मेहनत और आशा का प्रतीक है और वह भारत की करोड़ों महिलाओं के लिए एक इंस्पिरेशन भी हैं।