टॉपर्स कभी भी पढ़ाई को आखिरी समय तक नहीं टालते। वे समय रहते पढ़ाई शुरू कर देते हैं, जिससे उन्हें पूरा मटीरियल आराम से समझने का मौका मिलता है। परीक्षा में तनाव में नहीं होते हैं।
टॉपर्स कभी भी क्लास मिस नहीं करते हैं। टीचर्स से मिलने वाली वो छोटे-छोटे डिटेल्स भी नोट करते हैं। वो बोरिंग लेक्चर को भी अटेंड करते हैं।
टॉपर्स तथ्यों को रटने की बजाय उन्हें गहराई से समझते हैं। वे चीजों को तोड़कर देखते हैं कि कैसे और क्यों चीजें काम करती हैं। इससे एग्जाम में उनका प्रदर्शन अच्छा रहता है।
टॉपर्स सिर्फ नोट्स पढ़ने तक सीमित नहीं रहते। वे मटीरियल के साथ इंटरैक्ट करते हैं। चाहे सारांश बनाना हो, फ्लैशकार्ड तैयार करना हो, या किसी और को समझाना हो। इससे कंटेंट याद रहता है।
सीमित समय में ढेर सारा पढ़ना हो, तो टॉपर्स जानते हैं कि किस चीज पर सबसे पहले फोकस करना है। वे कठिन या ज्यादा जरूरी टॉपिक्स को तब पढ़ते हैं जब वे सबसे ज्यादा एनर्जेटिक होते हैं।
एक साफ-सुथरा स्टडी स्पेस न केवल दिखने में अच्छा होता है, बल्कि यह पढ़ाई में दक्षता भी लाता है। टॉपर्स अपने नोट्स, किताबें और असाइनमेंट्स को व्यवस्थित रखते हैं।
एक ठोस रूटीन होना बहुत जरूरी है। टॉपर्स कभी भी जब मन करे तब पढ़ाई नहीं करते। वे एक शेड्यूल का पालन करते हैं, जो उन्हें काम को व्यवस्थित रखने और टालमटोल से बचने में मदद करता है।
टॉपर्स जानते हैं कि लगातार पढ़ाई करना सही तरीका नहीं है। वे पोमोडोरो मेथड जैसे टेक्नीक अपनाते हैं—25 मिनट पढ़ाई, फिर 5 मिनट का ब्रेक। ये ब्रेक उन्हें फोकस्ड रहने में मदद करता है।