चाणक्य ने कहा कि जिन लोगों को वेदों का ज्ञान नहीं हैं, उनसे दूरी रखना चाहिए। उनका आचरण धार्मिक ज्ञान से दूर होता है। उनसे मित्रता और नजदीकी से बचना चाहिए।
ऐसे लोग जो दूसरों को जानबूझकर चोट पहुंचाते हैं और फिर पछतावा भी नहीं करते, उन्हें अपने जीवन या घर में स्थान नहीं देना चाहिए। उनका साथ मन की शांति छीन सकता है।
जो लोग सिर्फ अपने मतलब के लिए आपके पास आते हैं और मुश्किल समय में आपका साथ नहीं देते, वे सच्चे मित्र नहीं होते। ऐसे अवसरवादियों से दूरी बनाना ही समझदारी है।
जो लोग मीठी बातें करके दूसरों को मानसिक रूप से भ्रमित करते हैं, वे असल में खतरनाक हो सकते हैं। चाणक्य ऐसे लोगों पर भरोसा न करने की सलाह देते हैं।
कुछ लोग सामने से ईमानदारी और मिठास दिखाते हैं, लेकिन पीठ पीछे आपकी बुराई करते हैं। ऐसे नकली लोगों को अपने घर और जीवन से दूर ही रखना चाहि
हमेशा निगेटिव बातें करने वाले लोग न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी मानसिक रूप से हानिकारक होते हैं। इनकी संगत से आत्मविश्वास और ऊर्जा दोनों में कमी आ सकती है।