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सासु मां के 7 फैसलों पर उंगली ना करे बहू, 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी'

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घर की परंपराओं का पालन

सासु मां घर की परंपराओं और रीतियों की संरक्षक होती हैं। चाहे वह त्योहारों का तरीका हो या कोई पारिवारिक रीति। समय के साथ बदलाव की बात की जा सकती है, लेकिन तुरंत सवाल उठाने से बचें।

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खर्च और बचत का मैनेजमेंट

घर के खर्चों को लेकर सास का फैसला अनुभव पर आधारित होता है। अगर वे बचत पर जोर देती हैं, तो इसका सम्मान करें। धीरे-धीरे उन्हें अपनी राय बताएं, लेकिन शुरुआत में आलोचना न करें।

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रिश्तेदारों से व्यवहार

सासू मां परिवार के रिश्तों की जड़ होती हैं। वे जानती हैं कि किस रिश्तेदार से कैसा व्यवहार करना है। बहू को बिना जाने तुरंत दखल देने से बचना चाहिए।

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खाने-पीने के फैसले

सास घर में किस तरह का खाना बनता है, उस पर नजर रखती हैं। अगर वे किसी खास डिश या तरीका अपनाती हैं, तो इसे मानें। अपनी पसंद जोड़ने की बात धीरे-धीरे करें।

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घर की सफाई और सजावट

घर की सफाई और सजावट का तरीका सासू मां की जिम्मेदारी होती है। अगर वे किसी खास तरीके से चीजें रखना पसंद करती हैं, तो इसमें दखल न दें। आप अपने कमरे या जगह पर बदलाव कर सकती हैं।

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घर के नियम और पारिवारिक निर्णय

घर में कौन सा काम कब और कैसे होगा, यह सास के नियमों से तय होता है। शादी, बच्चों की परवरिश, या अन्य बड़े फैसले में सास का अनुभव काम आता है। तुरंत उंगली उठाने की बजाय उनकी सोच समझें।

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