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बेटी बनेगी अक्षता जैसी,सुधा मूर्ति की 8 पैरेंटिंग टिप्स करें फॉलो

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सादा जीवन, उच्च विचार

सुधा मूर्ति ने अपने बेटी को सिखाया कि सादगी और विनम्रता सबसे बड़ी शक्तियां हैं। उन्होंने सिखाया कि सफलता का मतलब केवल पैसे कमाना नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है।

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अक्षता की कभी नहीं की तुलना

सुधा मूर्ति कहती हैं कि कभी भी बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करनी चाहिए।क्योंकि हर बच्चे की क्षमता अलग होती है। ऐसा करने से उनके मन पर बुरा असर पड़ता है।

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बच्चों को किताब दें

सुधा मूर्ति कहती हैं कि पैरेंट्स को बच्चों में बढ़ते गैजेट्स एडिक्शन को कम करके उनके हाथों में किताब देनी चाहिए। किताबों से दोस्ती उन्हें नॉलेज के साथ-साथ बेहतर इंसान बनाएगी।

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बच्चों को दें जिम्मेदारी

बच्चों को उम्र के हिसाब से जिम्मेदारियां देनी शुरू कर देनी चाहिए। इससे बच्चा एक अच्छा डिसीजन मेकर इंसान बनेगा। वो ज्यादा समझेगा भी।

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बच्चों से खूब बातें करें

सुधा मूर्ति कहती है कि बच्चों के साथ हमेशा बातचीत करना चाहिए। इससे उनके बीच दूरियां नहीं आती है। संवाद की कमी से पैरेंट्स और बच्चे के बीच दूरियां आ जाती हैं।

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जरूरत के हिसाब से पैसे दें

सुधा मूर्ति कहती है कि बच्चे को ज्यादा लैविस लाइफ और पैसे नहीं देने चाहिए। उन्हें पैसे की वैल्यू पता होना चाहिए। बिना जरूरत जानें उसे पैसे ना दें।

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स्वतंत्र निर्णय लेने दें

बच्चों को अपने फैसले खुद लेने का मौका दें। अक्षता को अपने करियर और जीवन के फैसले खुद करने की आज़ादी दी गई, जिससे वह आत्मनिर्भर बनीं।

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क्रिएटिविटी को बढ़ावा दें

बच्चों की रुचियों और रचनात्मकता को पहचानें और उन्हें प्रोत्साहित करें। अक्षता की सफलता का एक बड़ा कारण यह भी है कि उन्हें हमेशा अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका दिया गया।

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