भारत में इस वक्त शादियों का सीजन चल रहा है। हल्दी समारोह हर शादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्या आपने कभी सोचा है कि हल्दी सेरेमनी क्यों मनाई जाती है?
हल्दी का उपयोग बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे शादी के दिन दूल्हा-दुल्हन की आत्मा शुद्ध हो जाती है।
इस समारोह को उत्तर भारत में हल्दी, मुसलमानों के लिए मांझा, पारसियों के लिए सुप्रा नु मूरत और ईसाइयों के लिए रोसे के नाम से जाना जाता है। इसे शादी से 1-2 दिन पहले मनाया जा सकता है।
शादी में यह रस्म बेहद खास होती है। प्रारंभ में माताएं और परिवार के सदस्य आशीर्वाद के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। दूल्हा-दुल्हन के पैरों और शरीर पर हल्दी लगाई जाती है।
पुजारी के अनुसार, हल्दी लगाने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इसे जोड़े के भावी जीवन के लिए समृद्धि का संकेत माना जाता है। इसे भगवान गणेश को साक्षी मानकर चढ़ाया और उतारा जाता है।
हल्दी को प्रेम की निशानी माना जाता है। कहते हैं कि हल्दी की रस्म खासतौर पर शाम 7 बजे की जानी है। यह अनुष्ठान दिन में भी किया जा सकता है।