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बच्चे की परवरिश कैसे करें? हार्दिक-नताशा से सीखें Co-Parenting Tips

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तलाक के बाद पहली बार बेटे से मिलें हार्दिक पांड्या

हार्दिक पांड्या ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ तस्वीरें शेयर की है, जिसमें वह अपने बेटे अगस्त्य के साथ एंजॉय करते नजर आ रहे हैं।

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को-पेरेंटिंग कर रहे हैं हार्दिक-नताशा

डिवोर्स के बाद भी हार्दिक पांड्या और नताशा स्टेनकोविक अपने बच्चे के साथ मिलकर परवरिश कर रहे हैं। जिससे दोनों अपने बच्चों को प्रॉपर टाइम दे पाते हैं।

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क्या होती है को-पेरेंटिंग

जब कपल्स एक दूसरे से डिवोर्स ले लेते हैं, लेकिन बच्चे की परवरिश के लिए एक साथ होते हैं तो उसे को-पेरेंटिंग कहा जाता है।

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को-पेरेंटिंग के फायदे

को-पेरेंटिंग बच्चों के इमोशनल और मेंटल डेवलपमेंट के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चा माता-पिता दोनों से लगाव महसूस करता है और उनका सम्मान करता हैं।

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किसी एक पर नहीं पड़ता है बोझ

वैसे तो डिवोर्स के बाद बच्चा माता या पिता में से किसी एक के पास रहता है। लेकिन को-पेरेंटिंग में किसी एक पर बोझ नहीं आता है। बच्चा माता-पिता दोनों के साथ समय-समय पर रहता है।

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फाइनेंशियल बर्डन होता है कम

को-पेरेंटिंग से माता या पिता किसी एक के ऊपर बच्चे की जिम्मेदारी और फाइनेंशियल बर्डन नहीं होता है। दोनों को इक्वली इसे बैलेंस करना होता है।

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कैसे करें को-पेरेंटिंग

अगर आप डिवोर्स के बाद अपने बच्चों की को-पेरेंटिंग करना चाहते हैं, तो इसके लिए बच्चों के सामने पार्टनर की इमेज को गिरने ना दें, हमेशा एक पॉजिटिव इमेज बनाकर रखें।

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फ्रेंडली एटमॉस्फेयर बनाएं

को-पेरेंटिंग के दौरान पेरेंट्स को एक दूसरे से लड़ना नहीं चाहिए। खासकर बच्चों के सामने उन्हें दोस्त की तरह रहना चाहिए और एक-दूसरे को सम्मान देना चाहिए।

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बच्चों को मिलती है स्थिरता

तलाक के बाद जब पेरेंट्स बच्चों की को-पेरेंटिंग करते हैं, तो इससे बच्चे बेहतर माहौल में बड़े होते हैं और उन्हें स्थिर माहौल मिलता है। 

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