इस केस में महिला ने एक बुजुर्ग पर आरोप लगाया कि उसने 1987 से उसके साथ जबरन रिश्ता बनाया। बॉम्बे हाईकोर्ट में इसे लेकर सुनवाई हुई और शिकायतकर्ता के केस को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने पाया कि संबंध सहमति से बने थे। इतना ही नहीं महिला 31 साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद इतनी देर शिकायत क्यों कि इसे लेकर भी शिकायत में कारण नहीं बताया गया है।
न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने महिला के शिकायत को रद्द करते हुए 73 साल के बुजुर्ग को राहत दी। केस 2018 में दर्ज की गई थी और देरी की वजह नहीं बताई गई।
कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता इतनी उम्रदराज थी कि वह यह समझ सकें कि याचिकाकर्ता पहले से शादीशुदा है। इस लिहाज से वो पहली पत्नी से अलग हुए उससे शादी नहीं कर सकता है।
बावजूद इसके महिला शादीशुदा शख्स के साथ 31 साल तक रही। जब दोनों के रिश्ते में खटास आई तो उसने पुलिस से शिकायत दर्ज कराई। कोर्ट ने कहा कि यह खराब रिश्ते का क्लासिकल मामला है।
महिला 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1987 में याचिकाकर्ता के कंपनी में काम करने लगी थी। उसका आरोप था कि छुट्टी के दिन पुरुष ने उसे बुलाया और उसके साथ जबरन संबंध बनाएं।
महिला ने केस में दर्ज कराया कि जुलाई 1987 और 2017 के बीच 30 सालों तक कंपनी के मालिक ने कल्याण, भिवंडी और अन्य स्थानों के विभिन्न होटलों में उसके साथ बलात्कार किया।
दर्ज केस में कहा गया है कि कंपनी के मालिक ने उससे शादी का वादा किया और 1993 में उसके गले में मंगलसूत्र पहनाया। उसने उसे दूसरी पत्नी माना और किसी और से शादी करने की अनुमति नहीं दी।
महिला का कहना है कि मां को कैंसर होने के बाद उसे नौकरी से छुट्टी लेनी पड़ी। जब वो दोबारा ज्वाइन करने पहुंची तो ऑफिस और कंपनी का गेट बंद था।
जब उसने पार्टनर को संपर्क किया तो उसने शादी से इनकार कर दिया। जिसके बाद उसने रेप का केस दर्ज कराया। केस दर्ज होने के बाद आरोपी ने कोर्ट में याचिका दायर की।
पूरे मामले को देखने और सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि संबंध दोनों की मर्जी से बने थे और महिला को पता था कि जिसके साथ वो है वो पहले से शादीशुदा है।