बच्चों को पिता मेहनत और समर्पण की अहमियत सिखाते हैं। बच्चों को यह समझाते हैं कि सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। चाहे वह घर के काम पूरे करने हों या खेल में प्रैक्टिस करनी हो।
पिता अपने बच्चों को डर का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे बच्चों को उनकी कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करते हैं। यह नजरिया आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है।
पिता बच्चों को अपने कामों और निर्णयों की जिम्मेदारी लेने का महत्व बताते हैं। वे सिखाते हैं कि यदि किसी गलती के कारण नुकसान हुआ है, तो उसे सुधारने की जिम्मेदारी खुद उठानी चाहिए।
पिता बच्चों के साथ खेलते हुए उन्हें मजेदार एक्टिविटी के दौरान ईमानदारी और खेल भावना सिखाते हैं। वे बताते हैं कि प्रतिस्पर्धा करना ठीक है, लेकिन इसमें सम्मान और सीमा भी बनाएं रखें।
पिता अपने बच्चों को घर की चीजों को ठीक करने या साइकिल की मरम्मत जैसी कौशल सिखाते हैं। ये कौशल न केवल आपात स्थिति में मदद करते हैं, बल्कि बच्चों में आत्मनिर्भरता भी बनाता है।
पिता अक्सर असफलता से सीखने के महत्व को सिखाते हैं। चाहे वह किसी खेल में हार हो या स्कूल प्रोजेक्ट में असफलता, वे बच्चों को यह समझाते हैं कि असफलता सीखने और आगे बढ़ने का मौका है।
पिता बच्चों को यह सिखाते हैं कि खुद के और अपने परिवार के लिए कैसे खड़ा होना है। वे वफादारी, ईमानदारी और रिश्तों के महत्व को समझाते हैं।
पिता बच्चों को सिखाते हैं कि हर व्यक्ति का सम्मान करना जरूरी है, चाहे वह किसी भी जगह से आता हो। पड़ोसियों से , कलिग से, अजनबियों से खुद सही तरीके से पेश आते हैं ताकि बच्चा सिखें।