आदित्य-एल1 को सोलर कोरोना का रिमोट आब्जर्बेशन के लिए और सौर वातावरण को स्टडी के लिए भेजा जा रहा है। यह सौर हवाओं का डेटा भेजेगा।
भेजे गए डेटा से पृथ्वी को अशांत करने वाली सौर हवाओं पर रिसर्च हो सकेगा। इस डेटा से पृथ्वी के जलवायु पैटर्न को सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा।
आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को दिन के 11 बजकर 50 मिनट पर लांच किया जाएगा। इसरो ने बताया कि लांचिंग श्रीहरिकोटा से से की जाएगी।
आदित्य-एल1 को PSLV से लांच किया जाएगा। पीएसएलवी पर सवार होकर यह करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर का सफर तय करेगा। इसे पृथ्वी से लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
अंतरिक्ष में एक प्वाइंट ऐसा है जहां ग्रैविटेशनल फोर्स की वजह से कोई भी स्पेसक्रॉफ्ट बैलेंस तरीके से बेहद कम ईंधन खर्च कर चक्कर लगा सकता है। इसे अंतरिक्ष का पार्किंग कहा जाता है।
अंतरिक्ष के इस पार्किंग को लैगरेंज प्वाइंट्स भी कहा जाता है। लैगरेंज प्वाइंट्स का नाम इतालियन-फ्रांसीसी मैथेमेटिशियन जोसेफ लुई लैगरेंज के नाम पर किया गया है।
आदित्य मिशन की लागत चंद्रयान-3 मिशन की लागत का करीब आधा है। यानी चंद्रयान-3 मिशन पर करीब 600 करोड़ रुपये लागत आया है। मिशन के लिए 2019 में 378 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।