बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के राजगीर में ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) के नए कैंपस का उद्घाटन किया। करीब 17 देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तरह की बिहार के राजगीर में नई नालंदा यूनिवर्सिटी बनाई गई है। 25 नवंबर, 2010 को इसे स्थापित किया गया था।
नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। विश्वविद्यालय में 300 कमरे 7 बड़े कक्ष थे। अध्ययन के लिए 9 मंजिला विशाल लाइब्रेरी भी थी, जिसमें 3 लाख से ज्यादा किताबें थीं।
तक्षशिला के बाद नालंदा दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। वहीं, आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है। 800 साल तक यह अस्तित्व में रहा था।
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में एक समय में 10,000 से ज्यादा छात्र पढ़ते थे। उन्हें 2,700 से ज्यादा शिक्षक पढ़ाते थे। भारत के अलावा चीन, जापान जैसे कई देशों के छात्र पढ़ते थे।
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त ने की। महान हर्षवर्द्धन और पाल शासकों का संरक्षण भी प्राप्त रहा। खुदाई में कई मुद्राएं साक्ष्य हैं
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास चीन के हेनसांग और इत्सिंग ने खोजा था। 7वीं शताब्दी में दोनों भारत आए और यहां से चीन लौटकर नालंदा के बारें में विस्तार से लिखा था।
नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्दों ना +आलम +दा के संधि-विच्छेद से मिलकर बना है। जिसका मतलब 'ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना' है।
इतिहास के मुताबिक, नालंदा विश्वविद्यालय में कई महान विद्वानों ने पढ़ाई की। जिसमें हर्षवर्धन, धर्मपाल, वसुबंधु, धर्मकीर्ति और नागार्जुन का नाम प्रमुख रुप से शामिल है।