दिल्ली में 9-10 सितंबर को हो रहे G20 Summit के दौरान आसमान की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायु सेना के पास है। इसके लिए लड़ाकू विमान और एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किए जाएंगे।
शिखर सम्मेलन के दौरान दिल्ली के आसमान की सुरक्षा के लिए राफेल फाइटर जेट उड़ान भरेंगे। इनका काम दिल्ली की ओर खतरा बनकर बढ़ते विमान को रोकना होगा।
दिल्ली में कॉम्बैट पेट्रोल के लिए मिराज 2000 विमान भी उड़ान भरेंगे। किसी हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए लड़ाकू विमान द्वारा भरे गए उड़ान को कॉम्बैट पेट्रोल कहते हैं।
दिल्ली और इसके आसपास के आसमान की निगरानी के लिए अवाक्स (Airborne Early Warning and control systems) विमान उड़ान भरेंगे।
दिल्ली पर हवाई हमला नहीं हो इसके लिए कई तरह के एयर डिफेंस सिस्टम लगाए जाएंगे। रूस से खरीदे गए S-400 को भी निगरानी और सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा।
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम द्वारा 600 km दूर तक आसमान की निगरानी की जा सकती है। इसकी मदद से 400 km दूर तक हमला करने आ रहे विमान, हेलिकॉप्टर या मिसाइल को नष्ट किया जा सकता है।
वायु सेना द्वारा दिल्ली के आसपास MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया जाएगा। इसका रेंज 70 किलोमीटर है। यह लड़ाकू विमान से लेकर मिसाइल तक हर खतरे से निपट सकता है।
दिल्ली की सुरक्षा के लिए वायु सेना द्वारा आकाश एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात किए जाएंगे। इस स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्मट का रेंज 25 किलोमीटर है।
ड्रोन से पैदा होने वाले खतरे से निपटने के लिए वायु सेना द्वारा दिल्ली में एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किए जाएंगे। इसके साथ ही एंटी एयर क्राफ्ट गन्स भी तैनात रहेंगे।