इसरो द्वारा भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 (Aditya L1) को लॉन्च किया गया है। इसे धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर L1 प्वाइंट तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
आदित्य एल1 में लिक्विड अपोजी मोटर (LAM) लगा है। इसे लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर ने विकसित किया है। LAM आदित्य एल1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 कक्षा में स्थापित करने में मदद करेगा।
आदित्य एल1 द्वारा सूर्य का अध्ययन किया जाएगा। इसका मुख्य उपकरण विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) है। यह रोज 1,440 तस्वीरें भेजेगा।
VELC का वजन 190kg है। यह 5 साल तक तस्वीरें भेजेगा। ईंधन की खपत के आधार पर यह लंबे समय तक चल सकता है।
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने के लिए सात उपकरणों को ले जा रहा है। इनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की जांच करेंगे।
VELC द्वारा भेजी गई तस्वीरों के अध्ययन से वैज्ञानिक सूर्य के रहस्यों पर से पर्दा हटाएंगे। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि पहली तस्वीरें फरवरी के अंत तक उपलब्ध हो जाएंगी।
आदित्य-एल1 द्वारा कोरोनल मास इजेक्शन की उत्पत्ति, गतिशीलता और प्रसार को समझा जाएगा। पता चलेगा कि सूर्य का मौसम कैसा है।
आदित्य-एल 1 के लिए इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर बनाया है। आदित्य-एल 1 द्वारा सोलर विंड का अध्ययन किया जाएगा।
आदित्य-एल 1 से सूर्य से निकलने वाले फ्लेयर्स के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। आदित्य-एल 1 के कण डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी जुटाएंगे।
आदित्य एल1 को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 में स्थापित किया जाएगा। यहां से यह बिना किसी बाधा के लगातार सूर्य का अध्ययन कर पाएगा।