अयोध्या के विकास के लिए जिस तरह से जमीनों का अधिग्रहण किया गया, उसे लेकर जनता में गहरी नाराजगी थी।
अयोध्या में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह हिंदू वोटर्स का बंटना भी है। इसके अलावा ब्राह्मण वोटर्स पहले से ही बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह से नाराज था।
फैजाबाद सीट से समाजवादी पार्टी ने इस बार पिछड़ा कार्ड खेलते हुए अवधेश प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा था। सबसे बड़ी बात है कि अखिलेश यादव की रणनीति यहां काम कर गई।
इसके अलावा कांग्रेस का आरक्षण और संविधान का मुद्दा भी भारी पड़ गया। इसके चलते बसपा के वोटर्स ने बीजेपी की जगह INDI गठबंधन का दामन थाम लिया।
अयोध्या से लल्लू सिंह मोदी लहर में दो बार जीत तो गए, लेकिन लोकल मुद्दों की अनदेखी और जमीन पर काम न करना इस बार भारी पड़ गया।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, अगर बीजेपी लल्लू सिंह की जगह किसी दूसरे उम्मीदवार को चुनाव में उतारती तो इस सीट से जीत निश्चित थी। लल्लू सिंह को लेकर लोगों में गहरी नाराजगी थी।
कहीं न कहीं लल्लू सिंह से नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा। दलितों के साथ ही सवर्ण वोटर्स ने भी खुलकर सपा प्रत्याशी को वोट किया।