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क्या नीतीश कुमार ले पाएंगे बिहार के लिए खास दर्जा, क्या होगा फायदा

Image credits: X-N Chandrababu Naidu

जदयू-टीडीपी बने किंगमेकर

2024 के चुनाव के नतीजे ऐसे आए हैं कि जदयू और टीडीपी किंगमेकर बन गए हैं। इस स्थिति का फायदा उठाकर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू अपने-अपने राज्यों के लिए खास दर्जा ले सकते हैं।

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नीतीश लंबे समय से कर रहे बिहार को विशेष राज्य बनाने की मांग

नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से कर रहे है, लेकिन केंद्र की सरकार ने पहले उनकी नहीं सुनी। अब स्थिति अलग है। यही हाल चंद्रबाबू नायडू का है।

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कांग्रेस की ओर से दिया गया है प्रलोभन

विशेष दर्जा दिए जाने को लेकर कांग्रेस की ओर से पहले ही प्रलोभन दिया गया है। जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देगी।

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नीतीश कुमार की मांग पूरी होगी या नहीं, रहेगी नजर

नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की है। ऐसे में अब इस बात पर नजर रहेगी कि वह अपनी इस मांग को मनवा पाते हैं या नहीं।

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विशेष श्रेणी का दर्जा क्या है?

विशेष श्रेणी का दर्जा भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। इससे संबंधित राज्य में विकास को बढ़ावा मिलता है।

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इन राज्यों को मिला है विशेष राज्य का दर्जा

असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना।

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विशेष श्रेणी का दर्जा के लाभ

विशेष दर्जा वाले राज्यों को कई लाभ मिलते हैं। इन्हें केंद्र से अधिक पैसे मिलते हैं। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 90% हिस्सा केंद्र देती है। अन्य राज्यों के लिए यह 60% या 75% है।

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विशेष राज्य में होता है संसाधनों का कुशल उपयोग

विशेष श्रेणी के राज्य एक वित्तीय वर्ष से दूसरे वित्तीय वर्ष तक जितने पैसे का इस्तेमाल नहीं होता उसे आगे बढ़ा सकते हैं। इससे संसाधनों का कुशल उपयोग होता है।

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विशेष श्रेणी के राज्यों को मिलती है रियायतें

विशेष श्रेणी वाले राज्यों को टैक्स में रियायतें मिलती हैं। उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क में छूट के साथ-साथ आयकर और कॉर्पोरेट कर में छूट मिलती है।

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विशेष श्रेणी के राज्यों को मिलता है अधिक पैसा

विशेष श्रेणी के राज्यों को केंद्र के सकल बजट से 30% तक अधिक आवंटन प्राप्त होता है। इससे इन राज्यों के पास विकास के काम के लिए पर्याप्त पैसे होते हैं।

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