मोदी ने ब्लॉग में बताया कि दूसरों की इच्छा का सम्मान करने की भावना, दूसरों पर अपनी इच्छा ना थोपने की भावना, मैंने मां के अंदर बचपन से ही देखी है।
मोदी के मुताबिक, मुझे लेकर मां इस बात का बहुत ध्यान रखती थीं कि वो मेरे और मेरे फैसलों के बीच कभी दीवार ना बनें। उनसे मुझे हमेशा प्रोत्साहन ही मिला।
मेरी दिनचर्या और तरह-तरह के प्रयोगों से कई बार मां को मेरे लिए अलग से इंतजाम करने पड़ते थे। लेकिन उनके चेहरे पर कभी शिकन नहीं आई, मां ने कभी इसे बोझ नहीं माना।
मैं महीनों के लिए खाने में नमक छोड़ देता था। कई बार मैं हफ्तों-हफ्तों अन्न त्याग देता था, सिर्फ दूध ही पीया करता था। कभी तय कर लेता था अब 6 महीने तक मीठा नहीं खाऊंगा।
सर्दी के दिनों में, मैं खुले में सोता था, नहाने के लिए मटके के ठंडे पानी से नहाया करता था। इस तरह मैं अपनी परीक्षा स्वयं ही ले रहा था।
मां मेरे मनोभावों को समझ रही थीं। वो कोई जिद नहीं करती थीं। वो यही कहती थीं-ठीक है भाई, जैसा तुम्हारा मन करे। मां को आभास हो रहा था कि मैं कुछ अलग ही दिशा में जा रहा हूं।