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रामनामी समाज के लोग क्यों शरीर पर लिखवाते हैं राम, क्या है कहानी

Image credits: X- Narendra Modi

नरेंद्र मोदी ने लिया आचार्य मेहत्तर राम से आशीर्वाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में जनसभा के दौरान रामनामी समाज के पूज्य आचार्य मेहत्तर राम और माता सेत बाई रामनामी का आशीर्वाद लिया।

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पीएम मोदी ने शेयर की तस्वीरें

पीएम ने इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। इसमें रामनामी समाज के संत को 'राम' लिखा कपड़ा और टोपी पहने देखा जा सकता है। उनके चेहरे पर भी 'राम' का टैटू बना है।

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छत्तीसगढ़ में रहते हैं रामनामी समाज के लोग

रामनामी समाज के लोग छत्तीसगढ़ में रहते हैं। इनकी संस्कृति के अनुसार कण-कण में राम बसे हैं। इस समाज के लोग अपने शरीर पर 'राम' का गुदना बनवाते हैं। वे 'राम'लिखा कपड़ा पहनते हैं।

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रामनामी समाज के लोगों को मंदिर जाने की जरूरत नहीं होती

रामनामी समाज के लोगों को पूजा करने के लिए मंदिर जाने की जरूरत नहीं होती। वे इंसान, पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और प्रकृति में भगवान राम को देखते हैं।

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शुद्ध शाकाहारी होते हैं रामनामी समाज के लोग

रामनामी समाज के लोग शुद्ध शाकाहारी होते हैं। नशा नहीं करते। शादी के लिए दहेज नहीं लेते। इस समाज के लोगों को मुख्य काम खेती करना और राम भजन गाना है।

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शरीर पर राम नाम का गोदना बनवाते हैं रामनामी समाज के लोग

रामनामी समाज के लोग शरीर पर राम नाम का गोदना बनवाते हैं। इसके चलते मौत होने पर शव को जलाया नहीं जाता। वे एक-दूसरे को राम कहकर पुकारते हैं।

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परशुराम ने की थी रामनामी समाज की स्थापना

रामनामी समाज की स्थापना 1890 के आसपास परशुराम नाम के व्यक्ति ने की थी। उन्होंने सबसे पहले शरीर पर राम नाम का गोदना कराया था। इस समाज के लोग सिर पर मोरपंख की टोपी पहनते हैं।

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छुआछूत के दिनों में हुई थी रामनामी समाज की शुरुआत

रामनामी समाज की शुरुआत छुआछूत के दिनों में हुई थी। तब दलितों को मंदिर जाने नहीं दिया जाता था। रामनामी समाज के लोगों ने अपने रोम-रोम में भगवान राम को बसाकर शरीर को मंदिर बना लिया।

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