तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब से अब तक 34 लोगों की मौत की खबर है। वहीं, 70 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती बताए जा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुसार शुरुआती जांच से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती लोगों 'मेथानाल पॉइजनिंग' की चपेट में मिले हैं। उन्हें कई समस्याएं हो रही हैं।
देशी शराब बनाने सरकार लाइसेंस देती है। वहीं, अवैध तरीके से बनाई गई शराब जानलेवा हो सकती है। इसे कच्ची शराब भी कहते हैं। ये शराब मजूदरों के इलाके में चोरी-छिपे बेची जाती हैं
जहां श्रमिक रहते हें और छोटा-मोटा काम कर गुजारा करते हैं। वहां देशी शराब के मुकाबले कच्ची शराब सस्ती पड़ती है। इससे लोग इसे खरीदकर पीते हैं और कई बार उनकी जान चली जाती है।
कच्ची शराब बनाने गुड़, पानी और यूरिया का इस्तेमाल होता है। इसमें कई हानिकारक केमिकल भी मिलाए जाते हैं। गुड़ सड़ाने ऑक्सीटोसिन और नशे के लिए नौसादर और यूरिया मिलाया जाता है।
यूरिया, ऑक्सोटोसिन, गुड़, पानी मिलाकर फर्मेंटेशन से इथाइल अल्कोहल की जगह मिथाइल अल्कोहल बन जाता है। ऐसा बनाने के दौरान तापमान सही न होने से होता है और शराब जहरीली हो जाती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मिथाइल अल्कोहल जब शरीर में पहुंचता है तो फॉर्मिक एसिड बनाता है, जो एक तरह का जहर है। इससे आंखों की रोशनी जाने, दिमागी बीमारी या मौत हो सकती है।
जब शराब में मिथाइल अल्कोहल 90% से ज्यादा हो जाती है तो जहरीली बना देती है। इसे पीने से नर्वस ब्रेकडाउन होता है और कार्डियोमायोपैथी या ऑप्टिक न्यूरोपैथी की चपेट में आ जाते हैं।
कार्डियोमायोपैथी में दिल का आकार अचानक से बढ़ जाता है। इससे ब्लड पंप करने में दिक्कतें आती हैं। हार्ट अटैक आ जाता है और दर्दनाक मौत हो जाती है।