चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि पर कन्या पूजन का महत्व है। इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 16 अप्रैल को और नवमी तिथि 17 अप्रैल को है। दोनों दिन कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को घर आने का निमंत्रण दें। कन्या पूजन में कम से 9 कन्याएं जरूर होनी चाहिए। साथ में 1 या 2 छोटे बालकों को भी जरूर बुलाएं।
देवी को खीर और हलवे का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। यही चीजें कन्या भोज के लिए भी बनाएं। साथ में सब्जी, पूरी भी बनवाएं। इच्छा अनुसार और भी चीजें भोजन में बढ़ा सकते हैं।
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
कन्या पूजन के बाद कन्याओं को कुछ उपहार भी जरूर देना चाहिए। उपहार में आप कन्याओं को श्रृंगार की वस्तु, कपड़े, कॉपी, पेन-पेंसिल आदि चीजें दे सकते हैं। साथ में कुछ पैसे भी दें।
धर्म ग्रंथों में छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं।