धर्म ग्रंथों के अनुसार, 1 से लेकर 12 साल की कन्या माता का स्वरूप होती हैं। इनकी पूजा करने और भोजन करवाने से माता प्रसन्न होती हैं। इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व है।
कन्या पूजन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर करने की परंपरा है। इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 और नवमी तिथि 23 अक्टूबर को है। दोनों ही दिन कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ है।
पंचांग के अनुसार, 22 अक्टूबर, रविवार को अष्टमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:26 से शाम 06:44 बजे तक रहेगा। यानी इस दिन पूरे समय कन्या पूजन करना शुभ रहेगा।
कन्या पूजन के लिए पहले कन्याओं को ससम्मान निमंत्रण दें। कम से कम 9 कन्याओं को भोजन पर जरूर बुलाएं। कन्याएं जब घर आ जाएं तो उन्हें बैठने के लिए उचित आसन दें।
कन्या पूजन के भोजन में पूरी, सब्जी के साथ हलवा या खीर जरूर होना चाहिए। खीर और हलवा, ये दोनों ही देवी मां को विशेष प्रिय है। इच्छा अनुसार और भी चीजें भोजन में बढ़ा सकते हैं।
भोजन करवाने के बाद सभी कन्याओं को एक साथ बैठाकर पहले पानी से उनके पैर धोएं। उनके पैरों में महावर या मेहंदी लगाएं। उन्हें तिलक लगाएं और लाल चुनरी भी ओढ़ाएं।
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
कन्याओं की पूजा के बाद उन्हें कुछ उपहार भी दें। कन्याओं को आप श्रृंगार की वस्तु, कपड़े, कॉपी, पेन-पेंसिल आदि चीजें उपहार में दे सकते हैं। साथ में दक्षिणा यानी कुछ पैसे भी दें।
जो व्यक्ति नवरात्रि में पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से कन्या पूजन करवाता है, उसे अपने जीवन में हर काम में सफलता मिलती है और देवी की कृपा भी उस पर बनी रहती है।